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बौद्ध धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है जो भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित है। यह धर्म प्रमुखतः तीन मुख्य परंपराओं में विभाजित है: थेरवाद, महायान, और वज्रयान। यहाँ हम महायान और वज्रयान परंपराओं और उनके मंदिरों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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बौद्ध मंदिर (विहार या स्तूप) बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पूजा, ध्यान, और शिक्षा का केंद्र होते हैं। इन मंदिरों में भगवान बुद्ध की प्रतिमा, उनके जीवन से संबंधित चित्र, और धर्मचक्र (धर्म का प्रतीक) होते हैं।
मंदिर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा होती है, जो ध्यान की मुद्रा में होती है।
मंदिरों के आसपास प्रार्थना ध्वज लगे होते हैं, जिन पर मंत्र लिखे होते हैं।
स्तूप एक गुंबदाकार संरचना होती है, जो बुद्ध के अवशेष या उनके प्रतीक के रूप में स्थापित होती है।
महायान बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है, जो “महान वाहन” के रूप में जानी जाती है। यह परंपरा करुणा और बोधिसत्व (ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति) के आदर्श पर केंद्रित है।
– महायान मंदिरों में बोधिसत्व की प्रतिमाएँ भी होती हैं, जो करुणा और ज्ञान के प्रतीक हैं।
– मंदिरों में धार्मिक शिक्षाएँ और प्रवचन भी होते हैं।
तिब्बत का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र मंदिर है।
यहाँ विश्व की सबसे बड़ी कांस्य बुद्ध प्रतिमा स्थापित है।
महायान मंदिरों में मंत्र जाप और सूत्र पाठन का विशेष महत्व होता है।
मंदिरों में ध्यान की विभिन्न विधियों का अभ्यास किया जाता है।
भिक्षु और अनुयायी मंदिर में प्रार्थना करते हैं और भिक्षा देते हैं।
वज्रयान, जिसे “तांत्रिक बौद्ध धर्म” भी कहा जाता है, बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो तंत्र, मंत्र, और ध्यान की विशिष्ट विधियों पर आधारित है। यह परंपरा मुख्यतः तिब्बत, भूटान, और नेपाल में प्रचलित है।
– वज्रयान मंदिरों में ध्यान की गूढ़ विधियाँ और तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं।
– मंदिरों में धार्मिक दीक्षा और गुरु-शिष्य परंपरा का पालन होता है।
– तांत्रिक देवता और देवियों की प्रतिमाएँ और चित्र भी मंदिरों में होते हैं।
दलाई लामा का ऐतिहासिक निवास और वज्रयान का महत्वपूर्ण केंद्र।
पहाड़ पर स्थित यह मंदिर वज्रयान बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल है।
वज्रयान मंदिरों में तांत्रिक मंत्र और यंत्र का उपयोग होता है।
मंडला (ध्यान और पूजा का जटिल चित्र) का निर्माण और पूजन किया जाता है।
वज्रयान अनुयायी विभिन्न ध्यान रूप और साधना करते हैं।
महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म की दो महत्वपूर्ण परंपराएँ हैं, जो बौद्ध धर्म की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करती हैं। महायान परंपरा करुणा, बोधिसत्व आदर्श, और ध्यान पर जोर देती है, जबकि वज्रयान परंपरा तांत्रिक विधियों, मंत्रों, और गूढ़ ध्यान पर आधारित है। दोनों परंपराओं के मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक, और स्थापत्य कला के अद्वितीय उदाहरण
World Council Of Temples में विश्वव्यापी मंदिर, मढ, गुरूद्वारा, विहार, आखाड़ा, देवस्थानों, पीठ, तीर्थ क्षेत्र, धाम एवं अन्य सभी मंदिर आधारित आस्था के केंद्र सम्मिलित हो सकते हैं।