गुरूद्वारे

गुरूद्वारे

गुरुद्वारा सिख संप्रदाय का पवित्र स्थल है, जहाँ सिख अनुयायी एकत्र होकर पूजा, कीर्तन, और सत्संग करते हैं। “गुरुद्वारा” का शाब्दिक अर्थ है “गुरु का द्वार,” और यह स्थान सिख धर्म के दस गुरुओं की शिक्षाओं का पालन करने और गुरबानी (गुरुओं की वाणी) को सुनने के लिए समर्पित है।

गुरूद्वारे

प्रमुख विशेषताएँ

  • गुरु ग्रंथ साहिब

    - गुरुद्वारे का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा गुरु ग्रंथ साहिब होता है, जिसे सिख धर्म का अंतिम और शाश्वत गुरु माना जाता है।
    - गुरु ग्रंथ साहिब एक ग्रंथ है जिसमें सिख धर्म के दस गुरुओं और अन्य संतों की वाणी संकलित है।

  • दरबार साहिब

    - यह वह स्थान होता है जहाँ गुरु ग्रंथ साहिब स्थापित किया जाता है और भक्तजन इसके समक्ष मत्था टेकते हैं।
    - दरबार साहिब में कीर्तन (धार्मिक भजन) गाया जाता है और गुरबानी का पाठ होता है।

  • लंगर

    - गुरुद्वारे में सामूहिक भोजन की व्यवस्था होती है जिसे लंगर कहते हैं। यह सेवा निशुल्क होती है और सभी जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति के लोग इसमें शामिल हो सकते हैं।
    - लंगर की व्यवस्था सिख धर्म के सेवा और समानता के सिद्धांतों का प्रतीक है।

गुरूद्वारे

प्रमुख विशेषताएँ

  • संगत और पंगत

    - संगत का मतलब है संग (समूह) में बैठकर कीर्तन, पाठ, और धार्मिक चर्चा करना।
    - पंगत का मतलब है लंगर के दौरान एक साथ पंक्ति में बैठकर भोजन करना, जो सिख धर्म में समानता और भाईचारे का प्रतीक है।

  • कारसेवा

    - गुरुद्वारे में सेवा (सेवा) का विशेष महत्व होता है। सिख अनुयायी विभिन्न प्रकार की सेवाएँ करते हैं, जैसे लंगर बनाना, साफ-सफाई, और अन्य सामाजिक कार्य।

प्रमुख गुरुद्वारे

स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर

अमृतसर
- अमृतसर, पंजाब में स्थित यह गुरुद्वारा सिख धर्म का सबसे पवित्र और प्रमुख स्थल है।
- स्वर्ण मंदिर अपने सुंदर स्वर्ण मंडित गुंबद और शांत सरोवर के लिए प्रसिद्ध है।
बांगला साहिब

बांगला साहिब

नई दिल्ली
- नई दिल्ली में स्थित यह गुरुद्वारा आठवें सिख गुरु, गुरु हरकृष्ण साहिब जी को समर्पित है।
- यहाँ एक पवित्र सरोवर है, जिसकी जल को अमृत माना जाता है।
पटना साहिब

पटना साहिब

पटना
- पटना, बिहार में स्थित यह गुरुद्वारा दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है।
- यह स्थान सिखों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
हेमकुंड साहिब

हेमकुंड साहिब

उत्तराखंड
- उत्तराखंड में स्थित यह गुरुद्वारा सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है, जो ऊँचाई पर स्थित है और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

गुरुद्वारे की अन्य विशेषताएँ

निशान साहिब

 - गुरुद्वारे के बाहर एक ऊँचा ध्वज स्तंभ होता है, जिसे निशान साहिब कहते हैं। यह केसरिया रंग का ध्वज सिख धर्म का प्रतीक है।

ग्रंथी

- गुरुद्वारे में जो व्यक्ति गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करता है और अन्य धार्मिक गतिविधियों का संचालन करता है, उसे ग्रंथी कहते हैं।

अखंड पाठ

- अखंड पाठ का मतलब है गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर, बिना रुके पाठ करना। यह विशेष अवसरों पर किया जाता है और आमतौर पर 48 घंटों में पूरा होता है।

सुखमनी साहिब का पाठ

- यह एक विशेष प्रार्थना होती है जो गुरु अर्जन देव जी द्वारा रचित है। यह पाठ शांति और सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

गुरुद्वारा सिख संप्रदाय का महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जो न केवल पूजा और ध्यान के लिए स्थान प्रदान करता है, बल्कि समाज सेवा, समानता, और भाईचारे के आदर्शों को भी प्रोत्साहित करता है। यहाँ पर हर कोई, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो, स्वागत किया जाता है और सेवा तथा भक्ति के माध्यम से सिख धर्म की शिक्षाओं को अनुभव करने का अवसर मिलता है।

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