जैन मंदिर

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जैन धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है जो अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह के सिद्धांतों पर आधारित है। जैन धर्म मुख्यतः दो प्रमुख संप्रदायों में विभाजित है: श्वेतांबर और दिगंबर। दोनों संप्रदायों के मंदिर और पूजा विधियाँ कुछ भिन्न होती हैं। यहाँ हम इन दोनों संप्रदायों और उनके मंदिरों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

श्वेतांबर मंदिर

दिगांबर मंदिर

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जिनालय

जैन मंदिर

जैन मंदिर (जिनालय) जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पूजा और ध्यान का केंद्र होता है। ये मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण होते हैं और शांत वातावरण प्रदान करते हैं।

मूलनायक प्रतिमा

 मंदिर में भगवान महावीर या अन्य तीर्थंकरों की मुख्य प्रतिमा होती है।

मनस्तंभ

मंदिर के बाहर या भीतर एक स्तंभ होता है, जिसे धर्म का प्रतीक माना जाता है।

रिचार्जिंग वेदी

पूजा और ध्यान के लिए विशेष स्थान होता है।

प्रमुख मंदिर

श्वेतांबर मंदिर

श्वेतांबर संप्रदाय के अनुयायी सफेद वस्त्र धारण करते हैं और उनके मंदिरों में भगवान की प्रतिमाएँ वस्त्र पहने हुए दिखाई देती हैं।

श्वेतांबर मंदिरों में भगवान की प्रतिमाएँ सजीव और वस्त्र पहने हुए होती हैं।

मंदिरों में रंगीन चित्र और मूर्तियाँ होती हैं।

दिलवाड़ा मंदिर (राजस्थान)

यह श्वेतांबर जैन मंदिर स्थापत्य कला और सुंदर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

पालिताना मंदिर (गुजरात)

शत्रुंजय पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर परिसर जैन धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

प्रतिमा अभिषेक

जल, दूध, और चंदन से भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है।

आरती और भजन

आरती और भजन गाकर भगवान की स्तुति की जाती है।

संध्यावंदन

शाम को विशेष प्रार्थना की जाती है।

प्रमुख मंदिर

दिगंबर मंदिर

दिगंबर संप्रदाय के अनुयायी वस्त्र धारण नहीं करते और उनके भगवान की प्रतिमाएँ बिना वस्त्र के होती हैं, जो उनकी तपस्या और त्याग का प्रतीक है।

– दिगंबर मंदिरों में भगवान की प्रतिमाएँ नग्न होती हैं, जो उनके त्याग और तपस्या का प्रतीक होती हैं।

– मंदिरों में साधुओं के लिए साधना और तपस्या की विशेष व्यवस्था होती है।

श्रवणबेलगोला (कर्नाटक)

गोमतेश्वर बाहुबली की विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।

सोनागिरि मंदिर (मध्य प्रदेश)

यह दिगंबर जैन मंदिर समूह दर्शनीय है।

जल अभिषेक

जल से भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है।

नमस्कार मंत्र

दिगंबर अनुयायी नमस्कार मंत्र का जाप करते हैं।

ध्यान और साधना

मंदिरों में ध्यान और साधना का विशेष महत्व है।

जैन मंदिर, चाहे वे श्वेतांबर परंपरा के हों या दिगंबर परंपरा के, जैन धर्म की धार्मिकता, तपस्या, और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं। श्वेतांबर मंदिरों में जहाँ भगवान की प्रतिमाएँ वस्त्रों में होती हैं और रंगीन चित्र होते हैं, वहीं दिगंबर मंदिरों में नग्न प्रतिमाएँ होती हैं जो तपस्या और त्याग को दर्शाती हैं। दोनों परंपराओं के मंदिरों में पूजा, ध्यान, और साधना के लिए विशेष व्यवस्था होती है, जो जैन धर्म के अनुयायियों को आध्यात्मिक शांति और मार्गदर्शन प्रदान करती है।

World Council Of Temples में विश्‍वव्‍यापी मंदिर, मढ, गुरूद्वारा, विहार, आखाड़ा, देवस्‍थानों, पीठ, तीर्थ क्षेत्र, धाम एवं अन्‍य सभी मंदिर आधारित आस्‍था के केंद्र सम्मिलित हो सकते हैं।  

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